Tuesday 18 October 2016

*करवाचौथ में पतिदेव की आरती*

*करवाचौथ में पतिदेव की आरती*

मैं तो आरती उतारूँ रे, बच्चों के पापा की।
जय हो हजबैंड, तेरी जय जय हो...
जय हो हजबैंड, तेरी जय जय हो...

बड़ी पूँजी है बड़ा-बड़ा कैश इसके बटुए में।
जिंदगी के हैं सारे ऐश इसके बटुए में।।
क्यूँ न झाँकूँ मैं बारम्बार इसके बटुए में।
दिखे हर घड़ी मॉल और बाजार इसके बटुए में।।
नृत्य करूँ झूम-झूम, बटुए को चूम-चूम,
बेलन ना मारूँ, आज इसे बेलन ना मारूँ रे...
मैं तो आरती उतारूँ रे, बच्चों के पापा की।।

सदा होती है जय-जयकार मेरे हजबैंडवा की।
पर नारी पे टपके ना लार मेरे हजबैंडवा की।।
हो सबसे निराली कार मेरे हजबैंडवा की।
कभी इज्जत न हो तार-तार मेरे हजबैंडवा की।।
जो कमाए मुझे दे दें, जो भी दूँ हँसके ले ले
स्वामी पुकारूँ रे... कल 'टॉमी' पुकारूँ रे....
मैं तो आरती उतारूँ रे, बच्चों के पापा की।।

हम हैं पत्तल तो तुम दोना, पति परमेश्वरजी।
हमसे कभी ना खफा होना, पति परमेश्वरजी।।
हम जो मारें तो मत रोना, पति परमेश्वरजी।
सबके कपडे सदा धोना, पति परमेश्वरजी।।
नौकर तुम, जोकर तुम, शोफर तुम, शौहर तुम
आठ आने वारूँ रे, तुम पे आठ आने वारूँ रे।।
मैं तो आरती उतारूँ रे, हजबैंड प्यारे की....
*मैं तो आरती उतारूँ रे, बच्चों के पापा की।*
*जय हो हजबैंड, तेरी जय जय हो...*
*जय हो हजबैंड, तेरी जय जय हो.*

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